बदलते वक़्त की पहचान बनो तुम
पशु नहीं इंसान बनो तुम ,
ज़िंदगी में कठिनाइयां हैं तो क्या
लक्ष्य पर चमकते निशान बनो तुम
चाह नहीं अरमान बनो तुम
खुशीयों का प्यारा जहाँ बनो तुम ,
हर शाह को जो मात दे
वो आगाज़ नहीं अंजाम बनो तुम ।
स्वाति वल्लभा राज