भूखे बच्चे का पेट भरने को
और बीमार पति के इलाज़ को
जब जूठन मलने से काम न चला तो
आखिर नीलाम कर दिया खुद को उसने ।
औरत के लिए उसके इज्जत के आगे भी
होती है सिंदूर और कोख की अहमियत,
तभी तो नियति से मजबूर हो,
खुद का अस्तित्व खो
बन जाती है -
''तिरिया चरितर ''?
स्वाति वल्लभा राज
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