मन के मोती
कभी टूटते
और चुभते जाते हैं
आँखों में,
कभी पिरोते चले
चले जाते हैं
खुद-ब -खुद
और बन जाती है
सुन्दर माला ।
पर जीवन
सुन्दर माला हीं तो नहीं,
अपितु टूटे मानकों की चुभन
पर भी मीठी मुस्कान है
स्वाति वल्लभा राज
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