Sunday, 27 September 2015

प्रश्न


मैं सीता ।
अजन्मी, ब्याहता ,निर्वासिता
फिर हरी गयी । 
धर्म युद्ध में जीती गयी ।
नरोत्तम के उत्तमा के लिए
अग्नि परीक्षित हुयी ।
कुछ साँसों में हीं जीविता रही
फिर बहिष्कृत हुयी ।
धोबी का संदेह अपनी वामा पर
समझाने के बजाय
अपनी पत्नी तिरष्कृत हुयी ?
यह कौन सा राज धर्म था ?
यही गति थी तो अग्नि परीक्षण क्यों?
प्रजा पालक पर प्रजा का संदेह तो
क्या यही निदान उचित था ?
और आज तुम पुरषोत्तम और मैं सीता ।
स्वाति वल्लभा राज

1 comment:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, महान समाज सुधारक राजा राम मोहन राय - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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