तुम्हारे कंधे पे सर रख कर सब कुछ भुलाने को जी करता है|
तेरी अनकही बातों पे फिर से मुस्कुराने को जी करता है|
तुम ढूंढों मुझे फिर बेताबी से फिर ,
तो भीड़ में गुम जाने को जी करता है|
सम्हालो मेरे लड़खड़ाते कदम एक बार फिर,
तो आज होश खो जाने को जी करता है|
तुम पुकारो मेरा नाम दिल से तो
तेरी बाहों में ही छुप जाने को जी चाहता है|
क्या कहूँ अब और ऐ वफ़ा,
आज फिर से जी जाने को जी चाहता है|
स्वाति वल्लभा राज
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तुम पुकारो मेरा नाम दिल से तो
ReplyDeleteतेरी बाहों में ही छुप जाने को जी चाहता है|
क्या कहूँ अब और ऐ वफ़ा,
आज फिर से जी जाने को जी चाहता है|
sundar prem purn rachana....