ओस की बूंदों की तरह ये जिंदगी,
रात की कोशिशों में बनती और
सूरज की पहली किरण में बिखर जाती|
अगले पल से फिर वही नाकाम कोशिश,
खुद को बनाने की|
बनने के बाद कुछ वक़्त ठहराने की|
ठहराव के बाद कुछ पल जीने की
पर जीने से पहले ही एक डर गुम जाने का|
फिर डर के सच्चाई का सामना|
ओस की तरह दूब पे बिखर कर
चमकना चाहे ये ज़िन्दगी|
पल भर को ही निडर हो,
जी जाना चाहे ये जिंदगी|
swati vallabha raj
रात की कोशिशों में बनती और
सूरज की पहली किरण में बिखर जाती|
अगले पल से फिर वही नाकाम कोशिश,
खुद को बनाने की|
बनने के बाद कुछ वक़्त ठहराने की|
ठहराव के बाद कुछ पल जीने की
पर जीने से पहले ही एक डर गुम जाने का|
फिर डर के सच्चाई का सामना|
ओस की तरह दूब पे बिखर कर
चमकना चाहे ये ज़िन्दगी|
पल भर को ही निडर हो,
जी जाना चाहे ये जिंदगी|
swati vallabha raj
पल भर को ही निडर हो,
ReplyDeleteजी जाना चाहे ये जिंदगी|
sundar bhav liye acchi rachana...