Thursday, 21 November 2013

सम्भालूँ और सम्भलूँ कैसे




मुट्ठी जो भिंची 
रेत सा फ़िसल गया,
जो खोली अंजुरी 
फुर्र सा उड़ गया । 
तू हीं बता 
अब ऐ रिश्ते!
सम्भालूँ और
सम्भलूँ कैसे ???

स्वाति वल्लभा राज

5 comments:

  1. कल 24/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  2. वाह,क्या बात है.

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  3. तू हीं बता
    अब ऐ रिश्ते!
    सम्भालूँ और
    सम्भलूँ कैसे ???
    बहुत आसान है रिश्ते बनाना, पर कठिन है उन्हें सम्भालना .

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  4. बहोत खूब स्वाति ...वाह ...!!!

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