अनीह ईषना
Tuesday, 27 October 2015
बेशक्ल ख्वाइशें
हर नुक्कड़ चैराहे पे टंगी
मांस के लोथड़ों सी
हमारी मृत
संवेदनायें
और तिस पर मुज़रा करती
हमारी बेशक्ल ख्वाइशें
कंकाल
सी
खोखली आदमियत
हम पर अट्टहास करती है ।
स्वाति वल्लभा राज
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