कौन कहता है सफ़ेद बाल अनुभव की निशानी हैं सदा
इन्ही सफ़ेद बालों को बहुओं को जलाते देखा है ।
शिथिल पड़े झुर्रियों में सदियों की कहानी भी होंगी
मगर इन्हें बेटियों को इतिहास बनाते देखा है ।
काँपते आवाज़ में घुटे होंगी सपनें भी कई
इन्ही आवाज़ को दौलत का राग लगाते देखा है ।
सुबह शाम जो चौपाल पर पाठ सिखाया करते थे
उन्हीं सायों को रात में सबक भुलाते देखा है ।
इन्ही सफ़ेद बालों को बहुओं को जलाते देखा है ।
शिथिल पड़े झुर्रियों में सदियों की कहानी भी होंगी
मगर इन्हें बेटियों को इतिहास बनाते देखा है ।
काँपते आवाज़ में घुटे होंगी सपनें भी कई
इन्ही आवाज़ को दौलत का राग लगाते देखा है ।
सुबह शाम जो चौपाल पर पाठ सिखाया करते थे
उन्हीं सायों को रात में सबक भुलाते देखा है ।
स्वाति वल्लभा राज
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