जब सब जे.इन.यु और रोहिल विमला काण्ड पर अपने बच्चों का डर t.v. और F.B पर बता रहे तो मैंने सोचा मैं भी अपनी माँ का डर बता दूँ । कल देर रात मेरी माँ से बात हो रही थी । बातो बातों में उन्होंने पूछा बेटा तुम ज्यादा पढ़ती रहती हो तो बताओ क्या सचमुच जो कोहराम मचा रखा है कि ''ब्राम्हणवाद '' ख़त्म करो तो ये लोग इतने हाथ धो के पीछे क्यों पड़ गए हैं ? कितने ब्राम्हण बचे हीं हुए हैं जो खौफ भर रहे सब । और फिर बताया की मेरे परनाना होम्योपैथ के डॉक्टर थे उन्होंने गाँव में सबके शिक्षा के लिए कितना कष्ट उठाया था । चमार , डोम सब आते थे पढ़ने को । हमने तो क्या दूर दूर तक रिश्तेदारी में भी ये ''ब्राम्हणवाद '' क्या होता है , ये ना दिखाई दिया है न समझ आया है ।
मैं माँ को क्या समझाती । सिर्फ पूछा कौन सा न्यज़ चैनल देखती हो । और कहा जो भी देखो डीडी न्यूज़ और ज़ी न्यूज़ जरूर देखा करो । राजनीति के अलावा बहुत सी पॉजिटिव बातें दिखेंगी और इन सब विषयों पर दूसरा दृष्टिकोण भी दिखेगा ।
बहुत खोजने पर भी accurate डेटा नहीं मिला कि वाकई में अभी संख्या में ब्राम्हणों की स्थिति क्या है जो '' खौफ '' है ''ब्राम्हणवाद 'को लेकर । मगर जो भी डेटा मिला उससे औसतन ५% जनसँख्या निकल कर आई जो हर सेन्सस में घटती जा रही ।
मैं इंकार नहीं करती कि हरिजनों का पूजा पाठ में रोक , मंदिर में परवेज वर्जित इत्यादि पूरी तरह मनगढंत है । मैं उस परिवार से हूँ जहां लहसुन प्याज आज भी घर में नहीं जाता मगर समय के साथ परिवर्तन को सबने सहर्ष स्वीकारा है । मैंने ये मेरे रिश्तेदार में किसी ने ये जाना है की ''ब्राम्हणवाद '' किस बला का नाम है ? हम मुसलमानों के साथ भी एक थाली में खाने में गुरेज़ नहीं करते । फिर ये कौन से ब्राम्हणो के ''ब्राम्हणवाद '' की बातें करते हैं आप ? और ये खान हैं मुख्य प्रश्न कितने है ?और क्या मुट्ठी भर ब्राम्हणों के स्वार्थ और पोंगे सोच का लबादा सब पर डाल उन्हें चपटे में तो लेंगे हीं इस शब्द की आड़े में देश बर्बाद करेंगे ?
अरे ये ''ब्राम्हणवाद '' कौन सी परम्परा है जिसे संख्या में इतना कम होते हुए भी आज़ादी के इतने वर्ष बाद भी सब डरे सहमे हैं ? और ये दर की सचाई क्या है ? कहीं ऐसा तो नहीं कि डर का पलड़ा दूसरे खेमे में कब का जा चूका है और आप अभी भी वही राग अलाप रहे ? कश्मीरी पंडित सबसे बढ़िया उदाहरण है । वक़्त मिले तो इन सबको पढ़िए और समझिए । शायद एक परम्परा आप हीं ख़त्म कर दें ।
स्वाति वल्लभा राज
vartmaan me brahmanvaad jaise koi sthiti nahi hai
ReplyDeletejaativaad jarur hai
bilkul...yahi to samjh nahi aa rha ki log samjh kyo nahi rahe...
Deleteवाद के आगे कुछ भी जोड़ लीजिये उसकी सीढ़ी बना कहीं भी किसी के सिर के ऊपर से होते हुऐ चढ़ लीजिये इंसान या इंसानियत को छोड़ कर ।
ReplyDeleteपूरी तरह सहमत हूँ ।
Deletejii..abhaar...
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