Monday, 8 February 2016

शमी को श्रद्धांजलि

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समाजवादी पार्टी के ब्लॉक जीत पर जिस मासूम की जान गयी , मुझे अभी तक समाज सेवक  राहुल गांधी और केजरीवाल की प्रतिक्रिया नहीं दिखी । कारण शायद ये कि  मुसलमान की जीत में मुस्लिम बच्चे की मौत ! यही समीकरण अगर ''सुवर्ण-दलित '' या हिन्दू मुस्लिम का होता तो  साहबज़ादे की पदयात्रा और भूख हड़ताल शुरू हो चूका होता । कई समझदार लोग भी जागृत हो गए होते अगर भाजपा शाषित प्रदेश होता तो । बंगलौर में तंजानिया के छात्रा के साथ जो हुआ , उसमें ना तो मिडिया को ना पार्टी उपाध्यक्ष और भावी प्रधानमन्त्री की दिव्य छवि लिए राहुल जी को ''असहिष्णुता '' दिखाई दी । 
 जीत का जश्न हर पार्टी ऐसे हीं  मनाते हैं और ये कोई पहली घटना नहीं जिसमें ऐसे वजह से किसी की मौत हुयी । मुझे याद है सीवान में भी ऐसा हुआ था । और ऐसा नहीं की सपा के माथे ठीकरा फोड़ा जा रहा । आंकड़े तो नहीं मिले मगर कोई दो राय नहीं की अन्य पार्टियों के जश्न में भी जानें गयी होंगी । 
इस पोस्ट का मकसद किसी पार्टी को क्लीन चिट देना कत्तई नहीं है ।  बस हम जैसे अंधी जनता को समझाने के लिए है । जिस किसी को नाक भौं सिकोड़ना हो , जरूर सिकोड़ें । मगर थोड़ा समझने की कोशिश करें ।उस माँ पर क्या बीत रही होगी ? हमारा खून तब ही क्यों खौलता है जब ''राजनैतिक फायदों वाले समीकरण '' हो? और अधिकाँश  मिडिया को भी कर्तव्य बोध का एहसास तब हीं क्यों होता है जब टी आर पी वाली न्यूज़ हो ?
कोई कल्कि अवतार  ये सब नहीं बदल सकता । सिर्फ हम और आप बदल सकते हैं । अपनी सोच का दायरा बढाकर । 
अखिलेश यादव के त्वरित कार्यवाही पर वो बधाई के पात्र हैं । मगर ऐसे लोगों की राजनीति में एंट्री बंद हो और ऐसे जश्नों पर रोक हो तब बात बने । 
स्वाति वल्लभा राज 

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