सिसके,सहमे,घुटे से
बेजुबान लव्ज़
ठिठके खड़े होंठों के
दरवाज़े पर
लाचार, बेबस चाहते तो है
कहे जाना, सुने जाना,
पर बेहतरी समझते रहे
यूँ ठिठके रहना,
चुप्पी की किल्ली चढ़ाये ,
क्या पता बाहर निकले
और अस्मत लूट ले
घात लगाये
लव्ज़ों का कोई सौदागर
स्वाति वल्लभा राज
सही कहा
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब भाव, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteबहुत गहन और सुन्दर पोस्ट |
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