यक़ीनन हर रोज
अंदर कुछ मरता है मेरे,
जब भी तुझे
जगाने की बात करती हूँ ।
दोज़ख में दफन होती हैं
हर नाकामयाब कोशिश ,
जब भी जिस्म पर गड़े निशान
हटाने की बात करती हूँ ।
डायन भी सात घर छोड़
बच्चे उठाती, सुना है मैंने,
सहम जाती कोख मेरी जब भी
घर बसाने की
बात करती हूँ ।
स्वाति वल्लभा राज