मैंने तांका लिखने कि कोशिश की है| यह जापानी काव्य शैली है| १०० साल से भी ज्यादा पुरानी है| यह विधा ९वीं शताब्दी से १२ वीं शताब्दी के दौरान काफी प्रचलित हुई| हाइकु का उद्भव इसी से हुआ है| इसकी संरचना ५+७+५+७+७ वर्णों की होती है|आप सभी का मार्ग-दर्शन प्रोत्साहन देगा|
मुरली वाले
मुरली वाले
गिरधर नागर
दर्शन ईहा
लालायित नयन
प्रेम परागा मन|
पंथ निहारूं
खुद को समझाऊं
बंशी बजैया
श्याम सलोना मुख
दर्शन में हीं सुख|
स्वाति वल्लभा राज
बहुत सुन्दर भक्तिमय प्रस्तुति...
ReplyDeleteधन्यवाद कैलाश जी...आप लोगों का आशीर्वाद यूँ हीं रहे...
Deleteप्रयास सफल रहा और बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteसुन्दर प्रयास चंद शब्दों में मीरा की पीड़ा पिरोने का...
ReplyDeleteभक्तिमय रचना