Sunday, 1 September 2013

नाबालिग!



नाबालिग!
नाबालिग का मतलब क्या होता है?क्या उम्र बालिग़ और नाबालिग का फर्क बता सकती है?नाबालिग का मतलब आम समझ में शायद यह होता है की समझदारी  का स्तर उतना नहीं होता और गलत सही का फैसला इंसान नहीं ले पाता|

पर मेरी समझ में ये नहीं आता कि अलग- अलग देशों में बालिग़ होने के लिये अलग- अलग उम्र क्यों निर्धारित है?क्या भौगोलिक भिन्नता का समझदारी और अंततः बालिगता से कुछ लेना -देना है ?यही नहीं बल्कि अलग-अलग कार्य-क्षेत्र के लिये भी अलग अलग उम्र का दायरा है |अपने हीं देश में देख लीजिए-वोट देने के लिये १८ वर्ष चाहिए मतलब आप बालिग़ हैं मगर शादी करने के लिये लड़की १८ वर्ष में बालिग़ और लड़का २१ वर्ष में|इसका क्या मतलब हुआ?देश के बारे में निर्णय  लेने  से ज्यादा बालिगता या समझदारी घर चलाने के लिये चाहिए?

६ महीने से वह नाबालिग था तो ३ साल की सजा|कपडे नोचते वक्त उसे अक्ल थी ना ?उसे ये पता था ना की कुकर्म करते कैसे है?शरीर में रौड घुसाते वक्त क्या वाकई उसकी उम्र छोटी थी? घसीट कर बस से बाहर फेंकते वक्त भी क्या वह नाबालिग हीं था?वाह!सच में देश विडंबनाओं का देश होता जा रहा है|मुझे तो लगता है कार्य पालिका,न्याय पालिका और हमारी भावनाएं पंगु होते जा रहे  हैं|

क्या वाकई में न्याय हो गया?पूरे  देश के दरिंदों से सबक ले ली? १८ वर्ष से पहले जितनी मर्जी चाहे बलात्कार कर लो,हैं तो नाबालिग ना!

अगर वाकई उम्र को हीं पैमाना बनाना है तो फिर ऐसा कानून क्यों नहीं है कि अगर नाबालिग से बलात्कार होता है तो उसकी सजा ज्यादा हो?सिर्फ नाबालिग बलात्कार करे तो उसकी सजा कम क्यों? हैरान हो जाता है मन ये सब सोच कर|कल अगर कन्या-भ्रूण हत्या और बढ़ जाये तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए|क्योंकि तब सभ्यसमाज भी इसका भागीदार होगा|जब यह बात मन में गहरे  बैठ जाएगी कि हम सुरक्षा नहीं दे पाएंगे अपने बेटियों को तो किसी वहशी के वहश के शिकार से अच्छा होगा उसे कोख में हीं मार दें|

मानसिक रोग है बलात्कार करना|इसका बालिग़ या नाबालिग होने से कोई मतलब नहीं होता है|कुकर्म,कुकर्म होता है|उम्र से क्या सम्बन्ध?अगर इसे दूसरे नज़रिए  से देखा जाये तो ऐसे भी तो सोचा जा सकता है कि जब कम उम्र है तो ये हाल है,बढती उम्र के साथ दरिंदगी  कितनी बढ़ेगी|३ साल की सजा कुछ नहीं बदल देगा| सामाजिक  और कानूनी डर बहुत जरुरी है अब|वैसे हीं सामाजिक मूल्यों का पतन हो रहा है,अगर रोका ना गया तो यह पतन हमें गर्त में ले जाएगा....

आज अपना नाम लिखने का मन नहीं है यहाँ ...यह तो हर मन के दर्द की आवाज़ है....

10 comments:

  1. BAS YAHI TRASADI HAI AUR NYAAY KI KAMAZOR STHITI

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    1. सही कहा आपने और हम कितने विवश है ……

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  2. उम्र का पैमाना व्यभिचार करने से नहीं रोकती,पर कानून !!! बचाने के घृणित तरीके

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    1. यही तो त्रासदी है …

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  3. jahan tak is case kee bat hai to ye nabalig ke kam nahi the jo isne liye isliye ham uske liye jyada saza kee pairvi kar sakte hain kintu bahut se aise apardh hai jahan nabalig akal kee kami ke karan aise apradh kar jate hain jinhe ve truti vash karte hain aur yadi ye paribhasha lagoo n kee jaye to ve bhi saza ke hakdar honge aur jo ki unke sath anyay hoga .
    ek bat aur yadi ise yahan saza nahi mil pa rahi hai to koi bat nahi ye aazad hokar to samaj me hi aayega aur shayad asli saza is evahin milegi .nice post .nice blog.

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    1. आपने सही कहा है … कम नासमझी की वजह से बहुत सी नादानियाँ हो जाती हैं …जहां उम्र बिलकुल निश्चित करनी चाहिए ताकि उन्हें समझ आये। … मगर यहाँ तो बात गले के नीचे उतर हीं नहीं रही है। … ऐसे कई मामलों में हम ऐसे हीं स्तब्ध रह जाते है… आप और मैं समाज है। …. ​ईश्वर करे हमारे में वाकई ऐसी शक्ति आये की ऐसे पापियों को सज़ा देने में हम खुद में सक्षम हो जाये,बिना किसी भय के ……. ब्लॉग को पसंद करने के लिए आभार

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  4. कानून हर अपराध के लिए एक सा नहीं होना चाहिए ... न्याय करते समय अपराध की प्रवृति पर सज़ा निर्धारित करनी चाहिए ...

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    1. कानून के रखवाले और रचयिता इतना समझ जाए तो कहना हीं क्या …

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  5. सहमत हूं आपके इस आक्रोश से ... बहाने हैं सब ये ...

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    1. धन्यवाद …हम सबका आक्रोश बस कुछ सार्थक कर जाये ......

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