Tuesday, 25 August 2015

सफ़ेद जोड़ों वाली आज हमारी बारात निकली है

मौत के लिए चित्र परिणाम


सूरत-ए -आम और सीरत-ए -मामूली निकले हम तो क्या
हँस के ज़रा कर दो बिदा,
सफ़ेद जोड़ों वाली आज हमारी बारात निकली है ।
सुकून का हर गुल रखा तुमसे दूर हमने 
नालायकी के चादर में लिपटी,
आज हमारी औकात निकली है ।
दोज़ख सी ज़िंदगी का कर दिया था बसेरा जहां
ख़ुदा के दर से आज तुझको
प्यारी सी सौगात निकली है ।
सफ़ेद जोड़ों वाली आज हमारी बारात निकली है।
स्वाति वल्लभा राज

3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 27 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  2. स्वाति जी मन के भावो बड़े ही सुंदर शब्द दिए हैं !

    बहुत दिनों बाद आना हुआ ब्लॉग पर प्रणाम स्वीकार करें
    वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|
    http://sanjaybhaskar.blogspot.in

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