अकेलेपन का दंश बहुत गरे तक चोट पहुँचाता है ।
कुछ भी कहो पर ये पल होते बहुत खुबसूरत है | इनके आगोश में तन्हाईया भी कभी ऐसी गुदगुदाती है की जिन्दगी फिर से जीने को मचल उठती है |
बहुत गहन ..कृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
अकेलेपन का दंश बहुत गरे तक चोट पहुँचाता है ।
ReplyDeleteकुछ भी कहो पर ये पल होते बहुत खुबसूरत है |
ReplyDeleteइनके आगोश में तन्हाईया भी कभी ऐसी गुदगुदाती
है की जिन्दगी फिर से जीने को मचल उठती है |
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वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
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बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
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