रूप घनाक्षरी,वार्णिक छंद के भेद हैं|इसकी रचना सिर्फ वर्ण गड़ना के आधार पर
होती है| २६ से ज्यादा वर्णों कि संख्या वाले वार्णिक छंद, “दंडक” की श्रेणी में आते हैं और २६ से कम वर्णों की संख्या वाले “साधारण” की श्रेणी में| रूप
घनाक्षरी में ३२ वर्ण होते हैं| १६-१६ वें वर्ण पर या प्रत्येक ८ वें वर्ण पर यति
होते हैं|
स्वाति बिन मोती नहीं,
नाहिं हरि बिन कूक|
प्रीति बिन गति नहीं,
काहें होवे फिर चूक?
हरि-कोयल
गति-मोक्ष
स्वाति वल्लभा राज
बहुत खूब ..
ReplyDeleteवाकिफ हुआ
i thought it was 8+8+8+7 = 31
ReplyDeleteपुन्य कार्य
ReplyDelete