Thursday, 29 May 2014

दर्द लिखती हूँ




जज्बों पर पड़े ठन्डे सर्द लिखती हूँ 
दर्द लिखती हूँ,
फलक पर दर्द लिखती हूँ ।

गुम हुए अपने शब्द लिखती  हूँ  
दर्द लिखती हूँ,
फलक पर दर्द लिखती हूँ ।

रूह पर पड़े, फैले गर्द  लिखती हूँ 
दर्द लिखती हूँ,
फलक पर दर्द लिखती हूँ ।

हर ख्वाइशों के रंग ज़र्द लिखती हूँ 
दर्द लिखती हूँ,
फलक पर दर्द लिखती हूँ ।

दूध को बेआबरू करता मर्द लिखती हूँ 
दर्द लिखती हूँ,
फलक पर दर्द लिखती हूँ ।

स्वाति वल्लभा राज 

3 comments:

  1. तुम्हारा दर्द मेरे दिल तक पहुंचता है बिटिया
    God Bless you

    ReplyDelete
  2. काफी दिनों बाद आना हुआ इसके लिए माफ़ी चाहूँगा । बहुत बढ़िया लगी पोस्ट |

    ReplyDelete
  3. ये दर्द तो दुर्भाग्य से समग्र मानव जाति का है! :(

    ReplyDelete