जज्बों पर पड़े ठन्डे सर्द लिखती हूँ
दर्द लिखती हूँ,
फलक पर दर्द लिखती हूँ ।
गुम हुए अपने शब्द लिखती हूँ
दर्द लिखती हूँ,
फलक पर दर्द लिखती हूँ ।
रूह पर पड़े, फैले गर्द लिखती हूँ
दर्द लिखती हूँ,
फलक पर दर्द लिखती हूँ ।
हर ख्वाइशों के रंग ज़र्द लिखती हूँ
दर्द लिखती हूँ,
फलक पर दर्द लिखती हूँ ।
दूध को बेआबरू करता मर्द लिखती हूँ
दर्द लिखती हूँ,
फलक पर दर्द लिखती हूँ ।
स्वाति वल्लभा राज
तुम्हारा दर्द मेरे दिल तक पहुंचता है बिटिया
ReplyDeleteGod Bless you
काफी दिनों बाद आना हुआ इसके लिए माफ़ी चाहूँगा । बहुत बढ़िया लगी पोस्ट |
ReplyDeleteये दर्द तो दुर्भाग्य से समग्र मानव जाति का है! :(
ReplyDelete