नन्हीं कली,कोख में पली,
अंकुरण जीवन बीज का|
३ माह मातृत्व-सुख,फिर;
क्षरण “मात्र चीज” का
“प्रेम-प्रस्फुटिकरण” आवश्यकता थी,
जीवन-चक्र बढाने को|
थामी गयी चक्र की गति,
तनया ना जायने को|
“आवश्यकता आविष्कार की जननी है”
तो फिर कैसा ये आविष्कार?
परा-ध्वनि तरंगे बनी विधाता,
भ्रूण हत्या का क्यों ना प्रतिकार?
स्वाति वल्लभा राज
सार्थक तथा सामयिक पोस्ट, आभार.
ReplyDeleteआपका मेरे ब्लॉग meri kavitayen की नवीनतम प्रविष्टि पर स्वागत है.
“आवश्यकता आविष्कार की जननी है”
ReplyDeleteतो फिर कैसा ये आविष्कार?
परा-ध्वनि तरंगे बनी विधाता,
भ्रूण हत्या का क्यों ना प्रतिकार?
....प्रतिकार है , पर असुरों का भी एक व्यापार है
भ्रूण हत्या आज भी हो रहे है जो हम सब के लिए
ReplyDeleteदुःख एवं दुर्भाग्य की बात है !
चिंतनीय प्रस्तुति !
मार्मिक प्रस्तुती..
ReplyDeleteपर एकदम विचारणीय
बात कही है आपने...
कन्या भ्रूण हत्या के पीछे बहुत से कारक है। जागरूक तो हम हो रहे हैं लेकिन दृढ़ संकल्प से पीछे हट रहे हैं और मेरी नज़र मे सबसे महत्वपूर्ण कारण यही है।
ReplyDeleteसादर
कल 03/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
दिल को छू जाने वाली मार्मिक प्रस्तुति ..
ReplyDeletemarmik prastuti.........
ReplyDeleteपता नहीं क्यों न्यायालयों में कन्या भ्रूण हत्या करने वाले डॉक्टरों को हत्या की सज़ा नहीं दी जाती. सामयिक पोस्ट.
ReplyDeleteदुखद है...मगर सच भी है..
ReplyDeleteमार्मिक रचना..
हर आविष्कार को हथियार बनाना मानव सभ्यता की त्रासदी है!
ReplyDeleteप्रतिकार तो शुरू हुआ है ....लेकिन अभी भी बहुत कुछ होना है ....दिल दहला देनेवाली तसवीरें और रचना!
ReplyDeleteउद्वेलित करती रचना ..अति सुन्दर..
ReplyDeleteमानव सभ्यता की त्रासदी.दिल दहला देनेवाली उद्वेलित करती रचना|
ReplyDeleteआपका मेरे ब्लॉग की नवीनतम प्रविष्टि पर स्वागत है.
मार्मिक, अंतर को उद्वेलित रचना
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteशुभकामनाएँ