राजनीति
अहिंसा,सत्याग्रह के दत्तक ही,
भूल चले उस राह को.
नत-मस्तक हूँ मै
हे राजनीति !
तेरे काया-कल्प पर !
स्वर्णिम इतिहास रचने वाले
पोत रहे अब स्याही,
नत-मस्तक हूँ मै हे! राजनीति
तेरे नव रूप पर !
नाकाम कोशिश
कर गए बेपर्दा
अनकहे ज़ख्मो को ये आँसू,
कोशिश तो की थी हमने
ता-उम्र मुस्कुराने की |
स्वाति वल्लभा राज
सुन्दर क्षणिकाएं...
ReplyDeleteकर गए बेपर्दा
अनकहे ज़ख्मो को ये आँसू,
कोशिश तो की थी हमने
ता-उम्र मुस्कुराने की |
बहुत बढ़िया ...
नाकाम कोशिश
ReplyDeleteकर गए बेपर्दा
अनकहे ज़ख्मो को ये आँसू,
कोशिश तो की थी हमने
ता-उम्र मुस्कुराने की |...पर अनकहे दर्द उभर आए , बहुत गहरी अभिव्यक्ति
दोनों क्षणिकाएं अलग अलग मूड की ... बहुत अच्छी लगीं ...
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
रचना अच्छी लगी।
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