Saturday, 31 March 2012

क्यों क्यों क्यों?



आशुफ़्ता क्यों हर बात पर,
आईना शर्मशार  क्यों?
आब-ए-चश्म में डूबी आँखें
आजिज,आसिम रूह क्यों?


आराईश  की नुमाइश क्यों
आहिस्ता सुलगती आदमियत क्यों?
आसिम अपरिचित इंसान क्यों
अख्ज़ आज़ शख्शियत क्यों?

 

हैवानियत का उच्च आलाप क्यों
बेजान रुखसत आन क्यों?
जिंदगी  की बस्ती में
खामोश मुर्द श्मशान क्यों?

swati vallabha raj 

6 comments:

  1. अपनी बात कहने का अलग अंदाज़ !
    बेहतरीन!


    सादर

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  2. बहुत सारे यक्ष प्रश्न .... आखिर क्यों ? बहुत खूब

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  3. उर्दू के कुछ शब्द क्लिष्ट लगें...
    बहरहाल, सुन्दर आत्म-मंथन!

    सादर

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  4. उर्दू जयादा नहीं समझती प़र हाँ कुछ शब्दों से भाव समझाने में आसानी हुई...अगली बार उर्दू शब्दों के अर्थ भी दीजियेगा ...

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  5. बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.

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  6. बहुत खूब स्वाति जी.....
    प्रयोगिक रचना.....
    इस रचना पर मेरी ये दूसरी विसिट है.....जाने मेरा कमेन्ट कहाँ गया............
    :-(

    अनु

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