बेमौत मरी,
दुल्हन बनी बेटी,
अमीर ना थे|
कोख में हत्या
खामोश डरी बेटी
पंगु समाज|
काहें बढे तू
मुकाबला क्यों करे
विकृत सोच|
रोती बिटिया
चुप चाप सहती
सृष्टि आधार|
है क्यों अबला
हवस की शिकार
निकृष्ट कर्म|
स्वाति वल्लभा राज
बहुत सार्थक हायेकु.....अर्थपूर्ण रचना...
ReplyDeleteअनु
अर्थपूर्ण हाइकु
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
wow....great thoughts in less words...amazing.
ReplyDeleteछोटी छोटी पन्क्तियों में बहुत कुछ कह दिया आपने
ReplyDeleteसार्थक रचना
सार्थक हाइकू
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