ऐ प्यार तू अनामिका होता तो
ऐसे बदनाम ना होता|
शब्द-सीमा से परे होता
तो अनाहत अनाश्य होता|
अनिंदित,अनादी होता,
अनामय अनवरत होता|
शब्द-जाल में फंसा ना होता
तो अछिन्न,अच्युत, अचल होता|
तू अतर्कित,अतर्क्य होता
तू अतन,अवनी,हवन होता|
मोह-जाल में फंसा ना होता
तो अतुल,अकथ,अत्रस्त होता|
स्वाति वल्लभा राज
सुंदर....
ReplyDeleteप्रेम अनंत है..नाम हो या अनामिका..प्रेम तो अनमोल है..
बहुत खूब.
अद्भुत-सी अनुपम और अलंकृत रचना, साभार!
ReplyDeleteBTW, bloggers mein aane ka mera ek uddeshya tha 'Aarogyam'... http://aarogyam-nature.blogspot.com/2012/02/trans-fats.html Agar aapko sahi lage to samarthan chahunga.. dhanyavaad!
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteप्यार -
ReplyDeleteकभी नाम कभी अनाम
कभी मुक्त कभी बेबस
कभी शोर कभी खामोश
कभी नदी कभी सागर
कभी प्रश्न कभी उत्तर
कभी धीर कभी शरारत
कभी भोर कभी रात
कभी देना कभी पाना
खुदगर्ज़ कभी नहीं ....
बहुत खूब ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रेमपगी रचना...
बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteसादर
wah kya baat hai...aise b socha ja sakta hai. :-)
ReplyDeleteप्यार - प्यार ही होता तो बेहतर होता .....आपने बहुत सुन्दरता से उसे परिभाषित किया है ....यह पहलू भी अच्छा लगा ......!
ReplyDeleteकल 13/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
bahut khoob...
ReplyDeletehttp://www.poeticprakash.com/
प्रेम कथा
ReplyDeleteसुंदर
अनिंदित,अनादी होता,
ReplyDeleteअनामय अनवरत होता|
शब्द-जाल में फंसा ना होता
तो अछिन्न,अच्युत, अचल होता|
...pyar ko bibhin aayamon mein dekhna bahut achha laga...
||राधा, मीरा प्रेम है, प्रेम खुदा का नाम
ReplyDeleteप्रेम कृष्ण की बांसुरी, प्रेम कहाँ बदनाम?||
प्रेम कथा, सुंदर
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