जीवन की कैसी जिजीविषा है,
जीर्ण-शीर्ण परिस्थितियों में भी
जीने की अभिलाषा है|
शोषित है हर स्वपन लेकिन
मुक्त हर एक आशा है|
आलंबन भाग्य पर किन्तु,
स्वालम्बी कर्म प्रकाशा है|
नित दिन धराशायी प्रयास
किन्तु,नित नूतन संघर्ष है|
दमन हो हर ईहा का,पर
मनोबल का उत्कर्ष है|
स्वाति वल्लभा राज
सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeletewaah..bhut badhiya :)
ReplyDeleteयही तो सच्चा जीवन है...
ReplyDeleteसुन्दर भाव,,,,