Saturday 25 February 2017

यौन शिक्षा :साइट्स से या पाठ्यक्रम से ? प्रकाशित लेख

 भारत में यौन  शिक्षा के बारे में सोचना टेढ़ी खीर ही लगती है ।  भारत जैसे विकास शील देश के अलावा अगर  ब्रिटेन जैसे विकसित  देश की बात  करें तो वहां  भी स्तिथि संतोष प्रद नहीं है । बीबीसी में कुछ दिन पहले छपे लेख में इस चिंता को साफ़ तौर पर देखा जा सकता है । जानकारों के अनुसार ‘’ सेक्स की पढ़ाई ना होने से पैदा हुई स्थिति टाइम बम जैसी है जिसकी टिक टिक सुनाई दे रही है’’। ये स्तिथि ब्रिटेन में तब है जब वहां अधिकांश स्कूलों में यौन शिक्षा अनिवार्य रूप से पढ़ाई जाती है ।

देश में बढ़ते यौन अपराधों के आंकड़ें साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं । कई संस्थाओं और समाजशास्त्रियों द्वारा यौन और प्रजनन शिक्षा के महत्व पर जोर दिया जा रहा है । स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इसके जरुरत को समझते हुए सराहनीय कदम उठाया है । यौन और प्रजनन शिक्षा पर एक मैनुअल बनाया है जिसे १ लाख से ज्यादा शिक्षकों में बांटा गया है । ‘’साथिया ‘’ नाम से ये शिक्षक देश के किशोरों में कामुकता के रूपों, यौन व्यवहारों, लिंग आधारित व्यवहार, और प्रजनन स्वास्थ्य के मुद्दों पर शिक्षित  करेंगे । इसमें आपसी  सहमति और यौन संबंधों में सम्मान के महत्व की विवेचना है । साथ ही विपरीत लिंगों के प्रति उचित व्यवहार का उल्लेख भी है ।

स्वास्थ्य सचिव सीके मिश्रा द्वारा संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के सहयोग से तैयार यह  रूढ़िवादी सोच से आगे बढ़कर उठाया गया स्वागत योग्य कदम है ।

उदाहरण के लिए, मैनुअल के अनुसार  "एक लड़का अपनी भावनाओं को बाहर निकालने के लिए रो सकता है । वह मृदुभाषी या शर्मीला भी हो सकता है । अशिष्टता  और असंवेदनशीलता मर्दानगी की निशानी नहीं है। अगर लड़कों को कहना बनाना पसंद है या फैशन करना  तो इसका ये कत्तई अर्थ नहीं कि वह मर्द नहीं है । ठीक वैसे ही जैसे अगर लड़कियों को बाइक चलाना या लड़कों के साथ खेलना पसंद है तो इसका यह अर्थ नहीं कि उसके  चरित्र को कटघरे में रखा जाए ‘’  

एक तरफ यह मैनुअल लिंग व्यवहारों को दुरुस्त और संयमित  करने की बात करता है और दूसरी ओर यह यौन गतिविधि और लिंग संवेदीकरण के प्रति जागरूकता लाता है । प्रदेशों में विद्यालय स्तर पर यौन शिक्षा को लागू करने पर चर्चा ज़ारी है ।
आश्चर्यजनक रूप से यह मैनुअल हस्तमैथुन (जो भारतीय परिवेश में निंदनीय  है)  को वांछनीय सुरक्षित सेक्स का विकल्प मानती है । इतना ही नहीं इसमें  लड़कियों और लड़कों के लिए गर्भनिरोधक के विकल्प के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ -साथ यौन संचारित रोगों के कारण और रोकथाम के उपायों की भी चर्चा है ।


सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि यौन शिक्षा का अर्थ क्या है और यह जरुरी क्यों है ? यौन शिक्षा ,मानव यौन 

शरीर संरचना विज्ञान,   यौन गतिविधि, प्रजनन स्वास्थ्य, प्रजनन अधिकार, यौन संयम और गर्भनिरोध सहित अन्य 

यौन व्यवहार सम्बंधित ज्ञान है । भारत  ‘कामसूत्रजैसे अद्वितीय कामशास्त्र की धरती है । मिथकों और झूठे लाज के

 परतों से बाहर निकल कर इसकी महत्ता समझने का समय आ गया है ।  यौन संक्रमण के बढ़ते मामलें वाकई में एक

सोचनीय बिंदु है । बलात्कार , छेड़-छाड़ के अलावा यौन जरूरतों के लिए मानव तस्करी तक के केंद्र में कहीं न कहीं यौन

 शिक्षा का अभाव है । आज के नौजवानों का वेश्यालयों के प्रति झुकता लगाव आपराधिक ही नहीं अपितु विकृत

 भावनात्मक प्रवृत्ति को बढ़ा रहा है ।  बढ़ते उम्र के साथ आए शारीरिक बदलाव को किशोरों को सही ढंग से समझाना

 बहुत जरुरी है । ये बदलाव कौतुहल पैदा करते हैं और विपरीत लिंगों के प्रति कई प्रश्न भी । जननांगों  की सफाई बहुत आम शिक्षा है । किशोर और युवा पीढ़ी को यह एहसास दिलाना बहुत जरुरी है कि यौन  व्यवहार में अगर लड़की असहज है और इनकार करती है तो इसका मतलब ना ही है । जबरदस्ती करना  पौरुषता नहीं है । यौन इच्छाओं में नियंत्रण और संयम की शिक्षा सबसे जरुरी है ।

रितेश देशमुख और उतुंग ठाकुर के संयुक्त निर्माण में बनी  फिल्मबालक पालकयौन शिक्षा पर आधारित है ।

अभिवावकों  को यह  समझना बहुत आवश्यक है कि उनके बच्चे यौन व्यवहार  पोर्न साइट्स, अश्लील किताबों  से सीख

 रहे हैं या उचित पाठ्यपुस्तक से ,शिक्षकों के माध्यम से सीख रहे हैं । निःसंदेह यह पाठ्यक्रम किशोरों में बढ़ते गलत

 यौनाचारों  को काम करने में सहयोगी होगा और लिंग भेद तथा यौन अपराधों से परे एक स्वस्थ समाज की नींव रखेगा ।

स्वाति