Monday 20 June 2011

चल-चला-चल



मन बहुत विचलित है आज
कि दर्द भी है हो रहा|
जागे थे जिस  ख्वाब से वो
ख्वाब खुद ही सो रहा|

क्या करूँ,जाऊं कहाँ अब
दिल हर पल सोचता|
हरसूँ तो है बस रुदन ही,
दिशा-ज्ञान भी खो रहा|

उठ तो फिर से हे!पथिक मन
बढ़ते जा फिर चल-चला-चल|
गिला करके क्या मिला 
फिर हश्र चाहे जो रहा|

स्वाति वल्लभा राज 




Tuesday 14 June 2011

और प्यार हो गया

जमाने की रुसवाइयां भी कर गए अनदेखा 
उनके दर्द को इस कदर लगाया खुद से|

दफन कर गये हर एहसास को अपने       
उनके ख्वाबो को यूं सजाया खुद से|

स्वाति वल्लभा राज 

तकिये गीले है

कुछ सपने टूट कर बह निकले
की आज फिर तकिये गीले हैं|
अभी तक नमी महसूस हो रही,
की हम फिर सोतों से मिले हैं|

न सूखते है ये सोते
ना सपने ही पूरे होते हैं|
अमिट छाप छोड़ते ये
अनवरत यूँ हीं बहते हैं|

अश्रु क्या है,
मन -मंदिर के टूटे हुए
सपनो की छवि,
वास्तविकता के पटल पे
जो बनते और बिगड़ते हैं|
स्वाति वल्लभा राज 

Thursday 9 June 2011

कशमकश

 बादलो को घिरता देख आज 
मन फिर से भरमा गया |
आज नाचूंगी या
बादलो के संग
अन्तः मन को भिगोउंगी  मै |

स्वाति वल्लभा राज 



Wednesday 8 June 2011

इंतज़ार और सही

आंसुओ के सैलाब में डूबे अरमान और 
थकती हुई चाहत जरुर  है मगर
इरादे अब भी गगनचुम्बी है
हौसले अब भी अटल है |


सपने हकीकत के लिबास में
आएगी सज धज के, 
उन सपनो के तामीर को
इंतज़ार और सही |


स्वाति वल्लभा राज 





Friday 3 June 2011

Seelan


गुजरे वक़्त की सीलन ,

अब भी मौजूद है दीवारों  में .

रंगों की कई परत भी

निशान न मिटा सकी.

Fursat ke pal

फुर्सत के पल

आज काटते है बेहिसाब

कभी इन्ही के आगोश में 

ज़िदगी आबाद थी .

Wednesday 1 June 2011

GUZARISH

ज़लालत  भरे  इस  जिंदगी  को  संवारने जहां में  कहीं  यक़ीनन मेरा  करीम  होगा.
दर्द हद से पार कब का गुज़र गया इसके इख्तेताम  को मयस्सर कोई हाकिम होगा .
बुत   बने     खुदा  के   नूर   पाने  को   तालीमो   में  मुकम्मल  कोई  तालीम   होगा.
न   थम  मेरे  अश्क  दरिया  सा   बहता जा , कोई   तो  कतरा   उसे  अज़ीम   होगा .


स्वाति वल्लभा राज