राजनीति
अहिंसा,सत्याग्रह के दत्तक ही,
भूल चले उस राह को.
नत-मस्तक हूँ मै
हे राजनीति !
तेरे काया-कल्प पर !
स्वर्णिम इतिहास रचने वाले
पोत रहे अब स्याही,
नत-मस्तक हूँ मै हे! राजनीति
तेरे नव रूप पर !
नाकाम कोशिश
कर गए बेपर्दा
अनकहे ज़ख्मो को ये आँसू,
कोशिश तो की थी हमने
ता-उम्र मुस्कुराने की |
स्वाति वल्लभा राज