बेमौत मरी,
दुल्हन बनी बेटी,
अमीर ना थे|
कोख में हत्या
खामोश डरी बेटी
पंगु समाज|
काहें बढे तू
मुकाबला क्यों करे
विकृत सोच|
रोती बिटिया
चुप चाप सहती
सृष्टि आधार|
है क्यों अबला
हवस की शिकार
निकृष्ट कर्म|
स्वाति वल्लभा राज