शहीदों की चिताओं पे
लगेंगे हर बरस मेले|
वतन पे मरने वालों का
यही बाकि निशां होगा|.......शत्-शत् नमन समस्त शहीदों को...
ना जग प्यारा ना कहानी प्यारी,
प्यारी थी जिन्हें सिर्फ आज़ादी|
पराधीन देखते जब तुझको माँ,
आँख जिनकी भर आती|
तुर्क,मुगलक,डच,अंग्रेज,
ना जाने कितने और आतितायी|
रौंदे माँ तुझको निश-दिन,पल-पल
दौलत ही जिन्हें थी बहलाती|
बसंती रंग मे रंग गए दीवाने,
प्राणों की दी होम-आहुति|
नमन उन शहीदों को जिनके
रक्त से मिली ये आज़ादी|
स्वाति वल्लभा राज