Friday 2 March 2012

भ्रूण हत्या




नन्हीं कली,कोख में पली,
अंकुरण जीवन बीज का|
३ माह मातृत्व-सुख,फिर;
क्षरण “मात्र चीज” का 

                                          

                                                                       
                                                                      “प्रेम-प्रस्फुटिकरण” आवश्यकता थी,
                                                                       जीवन-चक्र बढाने को|
                                                                       थामी गयी चक्र की गति,
                                                                       तनया ना जायने को|


“आवश्यकता आविष्कार की जननी है”
तो फिर कैसा ये आविष्कार?
परा-ध्वनि तरंगे बनी विधाता,
भ्रूण हत्या का क्यों ना प्रतिकार?


स्वाति वल्लभा राज



16 comments:

  1. सार्थक तथा सामयिक पोस्ट, आभार.

    आपका मेरे ब्लॉग meri kavitayen की नवीनतम प्रविष्टि पर स्वागत है.

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  2. “आवश्यकता आविष्कार की जननी है”
    तो फिर कैसा ये आविष्कार?
    परा-ध्वनि तरंगे बनी विधाता,
    भ्रूण हत्या का क्यों ना प्रतिकार?
    ....प्रतिकार है , पर असुरों का भी एक व्यापार है

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  3. भ्रूण हत्या आज भी हो रहे है जो हम सब के लिए
    दुःख एवं दुर्भाग्य की बात है !
    चिंतनीय प्रस्तुति !

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  4. मार्मिक प्रस्तुती..
    पर एकदम विचारणीय
    बात कही है आपने...

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  5. कन्या भ्रूण हत्या के पीछे बहुत से कारक है। जागरूक तो हम हो रहे हैं लेकिन दृढ़ संकल्प से पीछे हट रहे हैं और मेरी नज़र मे सबसे महत्वपूर्ण कारण यही है।

    सादर

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  6. कल 03/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  7. दिल को छू जाने वाली मार्मिक प्रस्तुति ..

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  8. पता नहीं क्यों न्यायालयों में कन्या भ्रूण हत्या करने वाले डॉक्टरों को हत्या की सज़ा नहीं दी जाती. सामयिक पोस्ट.

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  9. दुखद है...मगर सच भी है..
    मार्मिक रचना..

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  10. हर आविष्कार को हथियार बनाना मानव सभ्यता की त्रासदी है!

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  11. प्रतिकार तो शुरू हुआ है ....लेकिन अभी भी बहुत कुछ होना है ....दिल दहला देनेवाली तसवीरें और रचना!

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  12. उद्वेलित करती रचना ..अति सुन्दर..

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  13. मानव सभ्यता की त्रासदी.दिल दहला देनेवाली उद्वेलित करती रचना|
    आपका मेरे ब्लॉग की नवीनतम प्रविष्टि पर स्वागत है.

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  14. मार्मिक, अंतर को उद्वेलित रचना

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  15. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
    शुभकामनाएँ

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