Tuesday 6 November 2012

मैडम बना दिया


जालिम तेरे प्यार ने  मैडम बना दिया
न घर की रही न घाट की 
दर बदर फिरता,कुत्ता बना दिया ,

जो भौंकने लगी,बात बे बात हीं 
औ धौंसियाने लगी मैडम गिरी,
नभ से हल्के सरका,खजूर पर टिका दिया|

हाय ये छलते -घोलते इश्क
और इशिकियाने के निराले  ढंग,
मन में काला रंग घोल, मैला बना दिया|

स्वाति वल्लभा राज

4 comments:

  1. ज़बरदस्त लिखी हैं स्वाती मैडम :)

    सादर

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  2. आपकी उम्दा पोस्ट बुधवार (07-11-12) को चर्चा मंच पर | जरूर पधारें |
    सूचनार्थ |

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  3. कल 09/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  4. पढ़ कर बहुत मजा आया |
    आशा

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