Friday 9 November 2012

अगले जनम मोहे बिटिया हीं कीजौ




न तपन वो ठंडी पड़ी अरमानों के लाश पर भी,
न लगन वो हर हार के मुलाकात पर भी|

बेटों  की क्षमता नहीं हर दर्द पर मुस्कान की,
संसार की गतिमयता में कृति के योगदान की |

सहनशीलता के कंटील चरम पायदान पर,
सुता हीं हरसू विराजित,त्याग के स्थान पर|

हे सृजक! प्रबुद्ध सृजन के नींव हेतु,
अगले जनम मोहे बिटिया हीं कीजौ |

स्वाति वल्लभा राज

12 comments:

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....

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    1. धन्यवाद संगीता जी.....

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  2. बहुत खूब बात काही है आपने |

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    1. प्रदीप जी,हम बात कहते तो हैं मगर समझने वालों की कमी है।धन्यवाद।:)

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    1. पूनम जी,पधारने के लिए धन्यवाद।आप सबका प्यार यूँ हीं बना रहे।:)

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  4. हे सृजक! प्रबुद्ध सृजन के नींव हेतु,
    अगले जनम मोहे बिटिया हीं कीजौ |

    क्या लिखूं कमेन्ट .. ये पंक्तियाँ खुद में सारा सार समाए हुए हैं ..

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    1. धन्यवाद मधुरेश जी।हम सब असमंजस में पड़ जाते हैं,ऐसा कुछ पढ़ कर।:)

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  5. दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    कल 12/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  6. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं..

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  7. हे सृजक! प्रबुद्ध सृजन के नींव हेतु,
    अगले जनम मोहे बिटिया हीं कीजौ |......ati sundar....

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  8. sundar aur utsahvardhk prastuti,......"mohe kevl bitiya hi dije....deepavli ki subhkamnaye

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