Monday 30 September 2013

मानसिक विछिप्त ?



यह घटना आज सुबह की है जिसने मेरा मानसिक संतुलन बिगाड़ दिया है |मेरे आँखों के सामने हीं यह घटना मेरे साथ पी .जी. में रहने वाली एक लड़की के साथ घट गयी और एक डर जो हर समय रहता है,वो और भी घर कर गया |घटना उसके साथ घटी पर शायद विक्टिम मैं भी बन गयी क्योंकि हर एक पल को मैं अब भी महसूस कर रही हूँ और अजीब सी मानसिक उहा-पोह में फस गयी हूँ |


''सुबह ७.३० की बस मिस ना कर दूँ, इस फिराक में जल्दी जल्दी सीढियों से उतर रही थी |पैर थोड़ा मुड़ा भी मगर ध्यान नहीं दिया की आफिस देर से गयी तो देर से आना होगा |शाम ७ बजे भी लौटते वक्त मुझे डर हीं लगता है |हर रोज लगता कहीं आज कोई हादसा ना हो जाये|एक तो अनजाना  शहर, भाषा की परेशानी और खुले हुए मेन  होल्स  तिस पर रोज की ख़बरें,सड़क पर घूमते हर आदमी में मुझे हैवान हीं दिखाती हैं |बहुत सही तो नहीं है यह पर डर बेवजह भी नहीं है |

खैर भागते -भागते जैसे सड़क पर पहुंची  तो अचानक सामने से आते एक आदमी ने एक लड़की के  सर पर मारा और चोटी खींच दी |मैं अवाक रह गयी पर इतना समझ गयी कि वह मानसिक विछिप्त है |अभी अचानक के इस वार से बेचारी वो सम्हली भी नहीं थी कि उसने बतमीजी शुरू कर दी  और गंदे इशारों के साथ यहाँ- वहाँ हाथ भी लगाने लगा |आप धापी में वो निचे गिर गयी तब तक लोग भी इकट्ठे  हो गए और उस पागल को मार कर भगाया |लड़की  डर से काँप रही थी और बड़े मुश्किल से खुद को समेटे खड़ी थी|मैं भाग के पास गयी तो देखा वो मेरे साथ हीं रहती है| ऑफिस जाने  की स्थिति ना तो उसकी थी ना मेरी |हम दोनों वापस आ गए और उसे मैं अपने हीं कमरे में ली आई |

हर समय कोशिश करती रही कि उसे समझाऊं कि कोई बात नहीं वो पागल था |हादसा था.जो किसी  के साथ हो सकता है |मगर एक बात दिमाग में घर कर गयी थी  और जो शायद कभी ना निकले|क्या शारीरिक हवस इतनी प्रचंड है कि जो इंसान पागल है, उसे भी पता है कि इस भूख को कैसे और किसके साथ मिटानी है? जो वाकई मानसिक रूप से असंतुलित हैं , उन्हें इतनी समझदारी कैसे आ जाती  है? क्या नारी सिर्फ भोग की वस्तु हीं दिखती है,फिर चाहे सामने वाला मानसिक विछिप्त हो या नहीं ...?

ये कैसी गुत्थी है? मेरा डर ,वाकई में बेवजह नहीं है |सुबह के समय, सलवार कमीज पहने,दुपट्टा सलीके से ओढ़े, पुरे चेहरे पर स्टाल लगाए ,जब ऐसी घटना मानसिक विछिप्त द्वारा घटाई  जा सकती है तो तथाकथित बुद्धजीवियों परन्तु मानसिक रोगियों के बीच हम कितने सुरक्षित हैं? ''

स्वाति वल्लभा राज 

4 comments:

  1. swati aap sahi hai , mere pados me ek 13-14 saal ki ladki se gandi niyat rakhte huye uske riste ke dada ko pakda gaya hai , aise me kaise kah sakte hain ki ham ghar me surakshit hai ...........gadi mansikta vaalo se kaise bacha jaay ...........?

    ReplyDelete
    Replies
    1. ab btaaiye..kha ja rahe hai hmare mulya? dar to hai hi,ghrina bhi hai...

      Delete
  2. क्या शारीरिक हवस इतनी प्रचंड है कि जो इंसान पागल है, उसे भी पता है कि इस भूख को कैसे और किसके साथ मिटानी है? जो वाकई मानसिक रूप से असंतुलित हैं , उन्हें इतनी समझदारी कैसे आ जाती है? क्या नारी सिर्फ भोग की वस्तु हीं दिखती है,फिर चाहे सामने वाला मानसिक विछिप्त हो या नहीं ...?

    ReplyDelete