Thursday 23 July 2015

चाह नहीं अरमान बनो तुम



बदलते वक़्त की पहचान बनो तुम 
पशु नहीं इंसान बनो तुम ,
ज़िंदगी में कठिनाइयां हैं तो क्या 
लक्ष्य पर चमकते  निशान बनो तुम 

चाह नहीं अरमान बनो तुम 
खुशीयों  का प्यारा जहाँ बनो तुम ,
हर शाह को जो मात दे 
वो आगाज़ नहीं अंजाम बनो तुम । 

स्वाति वल्लभा राज 

6 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, संघर्ष ही सफलता का सोपान है - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  2. ​बहुत बहुत धन्यवाद ​

    ReplyDelete
  3. शानदार प्रस्तुति...

    ReplyDelete