बदलते वक़्त की पहचान बनो तुम
पशु नहीं इंसान बनो तुम ,
ज़िंदगी में कठिनाइयां हैं तो क्या
लक्ष्य पर चमकते निशान बनो तुम
चाह नहीं अरमान बनो तुम
खुशीयों का प्यारा जहाँ बनो तुम ,
हर शाह को जो मात दे
वो आगाज़ नहीं अंजाम बनो तुम ।
स्वाति वल्लभा राज
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, संघर्ष ही सफलता का सोपान है - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभार
Deleteसुंदर !
ReplyDeleteधन्यवाद ...:)
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति...
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