Friday 3 June 2011

Seelan


गुजरे वक़्त की सीलन ,

अब भी मौजूद है दीवारों  में .

रंगों की कई परत भी

निशान न मिटा सकी.

4 comments:

  1. Dekh yun waqt ki dehleez se takraa ke naa gir
    Raaste bandd nahi sochne waalo ke liye...
    (anonymous)

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  2. गुज़रे वक़्त की सीलन बहुत अच्छा प्रयोग किया है । कम शब्दों में बहुत सारी बात कह दी है ।

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  3. रंगों की परत तस्वीर को ऊपर से सुन्दर और मनमोहक
    बनाती है, लेकिन उनके नीचे छुपी काली लकीरें तो होती ही है |
    तो गुजरे वक़्त की सीलन भी उसी तरह जीवन के तस्वीर को
    खीचने का आधार होती है | रंगों की परत से उन्हें खुबसूरत
    बनाये न की उन्हें मिटाने की कोशिश करे |

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  4. हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ.

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