Friday 3 June 2011

Fursat ke pal

फुर्सत के पल

आज काटते है बेहिसाब

कभी इन्ही के आगोश में 

ज़िदगी आबाद थी .

4 comments:

  1. अकेलेपन का दंश बहुत गरे तक चोट पहुँचाता है ।

    ReplyDelete
  2. कुछ भी कहो पर ये पल होते बहुत खुबसूरत है |
    इनके आगोश में तन्हाईया भी कभी ऐसी गुदगुदाती
    है की जिन्दगी फिर से जीने को मचल उठती है |

    ReplyDelete
  3. बहुत गहन ..




    कृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

    ReplyDelete
  4. बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में

    ReplyDelete